VAISHVIKARAN YA PUNAH AUPNIVESHIKARAN
Author(s) | Neeraj Jain |
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Pages | 246 |
ISBN | 9789350024270 |
Lang. | Hindi |
Format | Hardbound |
₹595.00
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Description
वैश्वीकरण क्या है? क्या यह दुनिया की साड़ी समस्याओं का समाधान कर उसे अबाध उन्नति और चौतरफा समृद्धि के रास्ते पर ले जाने वाले है, जेसिका इसके बारे मई प्रायः बताया जाता है? या की सच्चाई इससे कुछ अलग है? क्यों वैश्वीकरण के विरोध के नाम पर दुनिया के हर कोने से हज़ारो लोग नवंबर 1999 को अमेरिका के सीएटल शहर में उपस्थित हो जाते हैं, जहाँ विश्व व्यापार संगठन की मंतीसतरिये बैठक आयोजित थी? क्यों दुनिया के ऐसे हर शहर में जहाँ अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओ और जी-8 जैसे समहुओं की बैठक होती हैं, प्रदर्शनकारियों की भरी भीड़ इकट्ठी हो जाती हैं? दावोस (फरवरी 2000), मेलबोर्न (सितम्बर 2000), प्राग (सितम्बर 2000), गोठांवरग (जून 2001), और जिनेवा (जुलाई 2001), क्यों हर जगह यही दास्तान दुहराई जा रही है?
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Lang. | Hindi |
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