Bhartiya Rajya; Utpatti Evam Vikas

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Pages   615
ISBN
Lang.   Hindi
Format   Paperback

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Description

राज्य-निर्माण एक जटिल प्रर्किया है जो इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों और राजनीती- वैज्ञानिकों के मध्य अनेक विवादों और सिद्धांतों का आधार रही है! समकालीन वर्षों में अनेक राज्यों के विघटन से ऐसा प्रतीत होता है कि विश्व राजनितिक संरचनाओं कि तरलता के एक नए युग में पहुंच गया है! इसने सहज ही राज्य संस्थाओं की ऐतिहासिकता की ओर ध्यान आकृष्ट किया है तथा इस तथ्य का भी स्मरण कराया है कि प्रत्येक राज्ये के विकास की प्रक्रिया ओर संस्थानों की संरचना भिन्न-भिन्न होती है! अतः किसी भी राज्य में संभव विकास की दिशा, उसका समग्र परिपेक्ष्य और उसकी सीमायें जानने के लिए राज्य के उद्भव और विकास का ऐतिहासिक अध्ययन आवश्यक बन जाता है!

पुस्क्तक की नवीनता भारतीय राज्य के उदभव् एवं विकास के प्रथम सम्पूर्ण विहंगम एवं समेकित अध्ययन में है! यह भारत के सामाजिक विकास के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में भारतीय राज्य के विकास और प्रकृति को एक नयी दृष्टि से देखने का प्रयास भी है!

डॉ. रामावतार शर्मा दिल्ली विश्विद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के प्राचार्य हैं! पिछले 28 वर्षों से भारतए समाज व् राजनीती के छेत्र में शोध और लेखन में सक्रिय हैं!

डॉ. सुषमा यादव दिल्ली विश्विद्यालय के दिल्ली कॉलेज और आर्ट्स एंड कॉमर्स में राजनीती विज्ञानं विभाग में वरिष्ठ रीडर के पद पर कार्यरत हैं! पिछले 20 वर्षों से भारतीय राजनीती व् समाज के छेत्र में शोध और लेखन में सक्रिय हैं!

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